Wednesday 15 April 2015

जब खाली हैं तो अखर रही है

जब बिजी हैं...... तो बिजी हैं
जब खाली हैं तो अखर रही है
कमी तुम्हारी बनी हुई है
बस जैसे तैसे, गुज़र रही है |

शऊर कम था एक तरफ तुला में
गूरुर की हद थी दूसरे में
एक मिनट ने तौला था एक सदी को
कौड़ी कीमत लगी, बिकी दूसरे में

जुदा नहीं है, जुड़े भी नहीं हैं
कुछ कसर रही है, बसर रही है |
बस जैसे तैसे, गुज़र रही है |

जब बिजी हैं...... तो बिजी हैं
जब खाली हैं तो अखर रही है ||

- नवीन
(... यूँ ही कुछ सोचता हूँ मैं)

( शऊर = शिष्टाचार, Etiquette; तुला = तराजू, Scale; गूरुर = अहंकार, Ego )

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