Thursday 11 May 2023

ऐ मां मुझको फिर से जन दे !

ऐ मां मुझको फिर से जन दे !
जीवन हो शुरू फिर बचपन से
ऐ मां मुझको फिर से जन दे !

इस बार जो मिटटी तन भर जाय
धोना ना, रहने ही देना
मेरी तोतली बोलों पे,
नहीं बताना सही गलत
मुस्का देना, कहने ही देना 

एक बार सजों लूं,
फिर कहाँ मिलेंगे
घाव सजा लूं घुटनन पे !

ऐ मां मुझको फिर से जन दे !

तेरी गोद में उलट पलट
तब तक कर लूं ,
जब संकोच धरूं
मुहं नोच लूं, बाल बिखेरूं
मन माना खेल किलोल करूँ

एक बार जो छूटे
फिर कब मिलते हैं,
ये संगी साथी छुटपन के !

ऐ मां मुझको फिर से जन दे !

है याद मुझे मैं कहता था
जब खूब बड़ा हो जाउंगा,
मेरी प्यारी मां मेरी अच्छी मां
तुझसे ही ब्याह रचाउंगा

और मुझे कन्हैया ले के चल
तुझको कुछ दिखलाता हूँ,
एक निशां बना के आया हूँ
अभी जीभ से दर्पन पे !

ऐ मां मुझको फिर से जन दे !

खा ले बेटा, फिर बढेगा कैसे
इस बार नहीं बढ़ना मुझको
इस बार नहीं, एक ग्रास भी लूँगा
खूब भगाऊँगा तुझको

तेरी गोद से बहुत बड़ा
दूर खड़ा कर देंगे ये
ऐ मां अबकी रहने ही दे
दो चार निवाले बचपन के !

ऐ मां मुझको फिर से जन दे !

आप-धापी उहा -पोह
लेन-देन तेरा-मेरा
मथे डालता है मां मुझक
निर्मम जीवन का फेरा 

मैं गोद गोद खेला था मां
अब गेंद सा खेला जाता हूँ
कुछ भी कर मां एक बार मुझे
एक छत्र मेरा वो शासन दे !

ऐ मां मुझको फिर से जन दे !
जीवन हो शुरू फिर बचपन से
ऐ मां मुझको फिर से जन दे !

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