Friday 15 September 2023

तुम लिख देना...

 
 ना कविता ना कवित्त 
ना ही भाषा की विद्वत्ता 
जो भी जैसा भी जिस क्रम में 
मन में आए, तुम लिख देना

आई बतलाई गढ़ी बुनी 
तुम लिख देना, सब कही सुनी 
झूट साच, सब लिख देना 
कच्चा पक्का सब लिख देना 

ना तुलसी ना रसखान सरीखा 
ना ही गूढ़ सूर साहित्य 
जो भी जैसा भी जिस क्रम में 
मन में आए, तुम लिख देना

बैठे बैठे एक दिन मन में 
आया था पर नहीं कहा 
औरों से बातों के क्रम में 
दुहराया था पर नहीं कहा 

लाग लपेट ना मान मनुव्वल 
ना ही दुनियाई सिद्धत्ता 
जो भी जैसा भी जिस क्रम में 
मन में आए, तुम लिख देना

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