Monday 6 May 2013

दिल भी मेरा पत्थर का ही होगा

मैं बहुत सख्त हूँ-बहुत सख्त! ...बताया था यही मैंने
वो यही जानता है दिल भी मेरा पत्थर का ही होगा ॥

बिछड़ कर मुझसे वो टूटा भी और कमज़ोर भी हुआ
कलाई पर निशां गहरा किसी नश्तर का ही होगा ॥

फूँक कर पाँव रखते हो, सोच कर बात कहते हो
तुम्हारे इस हुनर में हाथ एक ठोकर का भी होगा ॥

अभी भटके हो सहरा में, अभी कुछ दिन यही होगा
हरएक निशां पे बोलोगे किसी लश्कर का ही होगा ॥

वो रोया खून के आंसू और जिसका दिल नहीं पिघला
क्यूँ ना कह दूं वो भगवान् भी पत्थर का ही होगा ॥

(05.05.2013)

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