तुम कदम बा कदम तेज़ होते गए
मैं हरएक सांस पे जैसे थमता गया
दोनों के दरमियाँ भीड़ भरती रही
दोनों के बीच कोहरा सा जमता गया ||
एकटक मेरी नज़रें तुम्हें तकती रहीं
पर मुड़ी तुम नहीं एकपल के लिए
धुंध होती रही आँख की रौशनी
बुझने से लगे राह के सब दिए ||
मैं अकेला सनम बस ख्यालों में गुम
सोचता ही रहा जाग कर रात भर
तुम मिलोगी मुझे तुम मिलोगी मुझे
तुम मिलोगी मुझे या जाएगी ये उमर ||
(23.04.1994)
मैं हरएक सांस पे जैसे थमता गया
दोनों के दरमियाँ भीड़ भरती रही
दोनों के बीच कोहरा सा जमता गया ||
एकटक मेरी नज़रें तुम्हें तकती रहीं
पर मुड़ी तुम नहीं एकपल के लिए
धुंध होती रही आँख की रौशनी
बुझने से लगे राह के सब दिए ||
मैं अकेला सनम बस ख्यालों में गुम
सोचता ही रहा जाग कर रात भर
तुम मिलोगी मुझे तुम मिलोगी मुझे
तुम मिलोगी मुझे या जाएगी ये उमर ||
(23.04.1994)
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