स्मृति क्या हैं - बहुत सीमित हैं
इतनी कि उँगलियों पे गिनी जा सकती हैं |
स्मृति वो एक खिलौना है
लाल रंग का, लकड़ी का बना हुआ
कई बार तोड़ा था मैंने
पर पापा उसे हमेशा जोड़ दिया करते थे
कब खो गया याद नहीं
पर उसकी याद, अभी भी है |
स्मृति एक दिन है
वो पहला दिन
पापा ने मेरी साइकिल छोड़ दी थी
और मैंने चलायी थी पहली बार
बिना किसी सहारे के,
साइकिल अब नहीं है
जंग खा गयी थी
पर एहसास, अब तक एक ही है |
स्मृति है वो मेरी पहली टी-शर्ट
चटक पीले रंग की
मैंने खुद खरीदी थी - अकेले
किसी ने भी तारीफ नहीं कि थी
पर मुझे बहुत पसंद थी
तो क्या हुआ
जो रात में पहन के सोने के ही काम आयी |
स्मृति एक चेहरा
परेड की रामलीला में
तीन लाइन छोड़ के बैठा था
नाम नहीं बताया था
लेकिन जाते हुए मुड़ के देखा था उसने
फिर कभी नहीं देखा
देखूं तो पहचान भी नहीं पाऊँगा
पर याद है |
स्मृति है
मेरी पहली तनख्वाह
लगता था सारी दुनिया खरीद लूं
सबके लिए कुछ न कुछ
इतनी ज्यादा नहीं थी, लेकिन
वो एहसास अब ज्यादा तनख्वाह
पे भी नहीं आता |
स्मृति है कान में बजने वाली घंटियाँ
जब पहली बार किसी ने नाम नहीं लिया था
बस पूछ लिया था
कैसे हैं ?
जानता हूँ फिर सुनने को नहीं मिलेगी
मगर अब तक वो आवाज़
आज भी है कानों में |
स्मृति है शताक्षी
पहली बार किसी बच्चे को गोद नहीं लिया था
लेकिन चंद्रकांता के छज्जे पर
दिसंबर की धूप और उसके
नन्हे मुलायम हाथ!
जरा सी धूप चेहरे पे पड़ने पे
आँखें मीच लेती थी |
आज में रहने दो
ये स्मृतियाँ ले जाएँगी
मेरा आज छीन कर
क्या पता
आज में भी कोई स्मृति छुपी मिल जाये ||
इतनी कि उँगलियों पे गिनी जा सकती हैं |
स्मृति वो एक खिलौना है
लाल रंग का, लकड़ी का बना हुआ
कई बार तोड़ा था मैंने
पर पापा उसे हमेशा जोड़ दिया करते थे
कब खो गया याद नहीं
पर उसकी याद, अभी भी है |
स्मृति एक दिन है
वो पहला दिन
पापा ने मेरी साइकिल छोड़ दी थी
और मैंने चलायी थी पहली बार
बिना किसी सहारे के,
साइकिल अब नहीं है
जंग खा गयी थी
पर एहसास, अब तक एक ही है |
स्मृति है वो मेरी पहली टी-शर्ट
चटक पीले रंग की
मैंने खुद खरीदी थी - अकेले
किसी ने भी तारीफ नहीं कि थी
पर मुझे बहुत पसंद थी
तो क्या हुआ
जो रात में पहन के सोने के ही काम आयी |
स्मृति एक चेहरा
परेड की रामलीला में
तीन लाइन छोड़ के बैठा था
नाम नहीं बताया था
लेकिन जाते हुए मुड़ के देखा था उसने
फिर कभी नहीं देखा
देखूं तो पहचान भी नहीं पाऊँगा
पर याद है |
स्मृति है
मेरी पहली तनख्वाह
लगता था सारी दुनिया खरीद लूं
सबके लिए कुछ न कुछ
इतनी ज्यादा नहीं थी, लेकिन
वो एहसास अब ज्यादा तनख्वाह
पे भी नहीं आता |
स्मृति है कान में बजने वाली घंटियाँ
जब पहली बार किसी ने नाम नहीं लिया था
बस पूछ लिया था
कैसे हैं ?
जानता हूँ फिर सुनने को नहीं मिलेगी
मगर अब तक वो आवाज़
आज भी है कानों में |
स्मृति है शताक्षी
पहली बार किसी बच्चे को गोद नहीं लिया था
लेकिन चंद्रकांता के छज्जे पर
दिसंबर की धूप और उसके
नन्हे मुलायम हाथ!
जरा सी धूप चेहरे पे पड़ने पे
आँखें मीच लेती थी |
हैं और भी पर ठहर जाता हूँ
आज में रहने दो
ये स्मृतियाँ ले जाएँगी
मेरा आज छीन कर
क्या पता
आज में भी कोई स्मृति छुपी मिल जाये ||
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