Sunday 15 April 2012

... जिंदगी

कीड़े मकोडों सी जिंदगी
या कि
मृग मरीचिका में फंसे हुए
कुछ सूंघते-टटोलते
कीड़े मकोडो से मानव |

जीवन में कोई लक्ष्य ही
धारण ना कर सके
या यूँ कहें
सोचने विचारने का
अवसर ही नहीं मिला |

संतो ने कहा
जीवन जल के सामान है
उसे बहने दो
स्वयं ही मार्ग बना लेगा
और मूर्ख मानव ने मान लिया |

छोड़ दिया जीवन को निरुधेश्य
और सूंघता-टटोलता फिर रहा है
कीड़ों मकोडो कि तरह |
(03.08.01) 

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