Tuesday 17 April 2012

मन को ना चंचल होने दो

ना नेह करो इतना कि मन को दुखी करे
हाँ स्नेह करो इतना कि दिल में खुशी भरे
इस तरह से जीवन को जीने कि विधि करो
मन ना तो हो बंधन में ना स्वच्छंद रहे ||

मोह ले मन को एक पल में इतना हो प्यारा
इतना हो गंभीर कि नभ का एक सितारा
जीने को मजबूर करे जिसका आकर्षण
मिट जाने को काफी हो जिसका एक इशारा ||

जब देखो तो, दो नयन लिए मन कि छाया
वाणी से भी ना छुपी रहे मन कि माया
स्पर्श तुम्हारा इतना ज्यादा कोमल हो
यूं लगे कि जैसे छू ली हो मन की काया ||

मन को ना चंचल होने दो, ये बेकल कर देगा
ज्यादा भावुक जो हुआ कहीं, तो विव्हल कर देगा
जा मिले कहीं जो किसी के मन से चुपके से
तुमको ही नहीं, सारे जग को ये पागल कर देगा ||

मन को ना चंचल होने दो...
(20.01.98)

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